भारतीय रेल के ग्रुप "स" इंजीनियर - एक क्रूर मजाक

भारतीय रेल के ग्रुप "स" सुपरवाइजर जिसे रेलवे मजाक के रूप में "इंजीनियर" भी लिखवाती है, की दुर्दशा जगजाहिर है।  जो अपनी किस्मत पर दशको से रोता आया है।  वर्त्तमान परिष्तिथि तो और भी भयावह होती जा रही है। इनको वर्कलोड और जिम्मेदारी औरो से कंही ज्यादा दी गई है, हर समय बलि का बकरा भी एहि बेचारे होते है, लेकिन मजाल है जो कोई इनका दर्द भी सुन ले।  बेचारे पुरे कार्यकाल बिना प्रमोशन के ही गुजार देते है।  काश ये भी अन्य कर्मचारियों की तरह प्रमोशन की ख़ुशी में मिठाई बाँट पाते।  इनके अधीनस्थ कर्मचारी आजकल शहंशाह बने बैठे है, मजाल है जो कोई इनसे इनकी मर्जी के खिलाफ काम करवा ले।  बड़े साहब भी  इनकी ही सुनते है।  खैर इनकी परेशानियों का लिस्ट बहुत लम्बा है, जो केवल इनके अंदर ही घुटता रहता है। 

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इन सब के बीच एक आशा की किरण ये रेलवे बोर्ड की चिठ्ठी है।  लेकिन ये क्या इसमें ग्रेड पे तो बाद में बढ़ेगा लेकिन आपके पोस्ट का डिमोशन जरूर हो जायेगा।  हाय रे किस्मत ! यंहा भी धोखा? आप अभी सीनियर सेक्शन इंजीनियर हो तो आप फिर से सीनियर इंजीनियर बन जाओगे यानि  वही "ढाक के तीन पात " . और आप रिटायरमेंट तक हो सकता है फिर से सीनियर सेक्शन इंजीनियर बन जाओ।  क्या खूब मजाक है साहब प्रमोशन के नाम पर मजे ले रहे हो।  मतलब साफ़ है कि  इंजीनियरओ  को बेवकूफ के सिवा कुछ नहीं समझा जाता।   इतना हो हल्ला के बावजूद ग्रुप बी का क्या हुआ ? और ये जो यूनियन और नए नए  एसोसिएशन है न, इनका क्या कहना। क्या इन्हे इस बात की समझ नहीं है ? ऐसा प्रतीत होता है की इन्हे रेलवे बोर्ड के ट्यून पर डांस करने के सिवा कुछ भी नहीं आता और आएगा भी कंहा से सारे विद्वान जो भरे पड़े है इन नेताओ के टीम में। खैर साहब चुनाव भी नजदीक है, ऐसे दो चार पेंडिंग चिठियाँ अभी और नजर आ सकती है।


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