राज्यों में लागू होने जा रहा है नया किराया कानून, किरायेदार को मिलेंगे 7 बड़े फायदे
केंद्र सरकार ने रेंटल हाउसिंग को प्रमोट करने के लिए नए सिरे से टेनेंसी (किराया) एक्ट लागू करने का निर्णय लिया है। केंद्र ने मॉडल टेंनेंसी एक्ट तैयार किया है और राज्यों से कहा है कि वे इस मॉडल के आधार पर अपने-अपने राज्यों में एक्ट बनाएं।
हालांकि सभी राज्यों ने अब तक इस ओर फोकस नहीं किया है, लेकिन कई बड़े राज्यों ने इसकी तैयारी कर ली है और मॉडल टेनेंसी एक्ट की तर्ज पर अपने राज्यों में किराया कानून लागू करने की तैयारी तेज कर दी है।
आज हम आपको यही बताएंगे कि कौन-कौन से राज्यों में यह टेनेंसी एक्ट जल्द लागू हो सकता है और इस कानून से बतौर किरायेदार या मकान मालिक के नाते आपको क्या फायदा होने वाला है।
इन राज्यों में बन रहा है नया कानून
कुछ राज्यों ने केंद्र सरकार को बताया कि वे अपने राज्य में टेनेंसी (किराया) कानून लागू करने जा रहे हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, गोवा, गुजरात, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश आदि शामिल हैं। ये राज्य केंद्र के मॉडल के हिसाब से अपने राज्य में किराया कानून को नए सिरे से लागू करने पर विचार कर रहे हैं।
नहीं देना होगा सिक्योरिटी डिपोजिट
केंद्र सरकार के टेनेंसी एक्ट के ड्राफ्ट के मुताबिक किराए का तीन गुना सिक्योरिटी डिपॉजिट लेना तब तक गैर-कानूनी होगा, जब तक इसका अग्रीमेंट न बनवाया गया हो। किरायेदार के घर खाली करने पर मकानमालिक को एक महीने के भीतर यह रकम लौटानी होगी।
कब बढ़ेगा किराया
ड्राफ्ट में कहा गया है कि बिल्डिंग के ढांचे की देखभाल के लिए किरायेदार और मकानमालिक दोनों ही जिम्मेदार होंगे। अगर मकानमालिक ढांचे में कुछ सुधार कराता है तो उसे रेनोवेशन का काम खत्म होने के एक महीने बाद किराया बढ़ाने की इजाजत होगी।
हालांकि इसके लिए किरायेदार की सलाह भी ली जाएगी। दूसरी ओर, रेंट अग्रीमेंट लागू होने के बाद अगर बिल्डिंग का ढांचा खराब हो रहा है और मकानमालिक रेनोवेट कराने की स्थिति में नहीं है तो किरायेदार किराया कम करने को कह सकता है। किसी भी झगड़े की स्थिति में किरायेदार रेंट अथॉरिटी से संपर्क कर सकता है।
बिना बताए नहीं आ सकता मकानमालिक
घर के मुआयने, रिपेयर से जुड़े काम या किसी दूसरे मकसद से आने के लिए भी मकानमालिक को 24 घंटों का लिखित नोटिस एडवांस में देना होगा।
मकान खाली नहीं करा सकता मालिक
रेंट अग्रीमेंट में लिखी अवधि से पहले किरायेदार को तब तक नहीं निकाला जा सकता, जब तक उसने लगातार कई महीनों तक किराया न दिया हो या वह प्रॉपर्टी का दुरुपयोग कर रहा हो। अगर रेंट अग्रीमेंट खत्म होने के बाद भी वह मकान खाली नहीं कर रहा है तो मकानमालिक को दुगना मासिक किराया मांगने का अधिकार है।
एक माह का नोटिस देना होगा
किरायेदार के लिए यह जरूरी है कि वह घर छोड़ने से पहले मकान मालिक को एक महीने का नोटिस दे।
किराएदार की मौत हो जाए तो
रेंट अग्रीमेंट के दौरान अगर किरायेदार की मौत हो जाए तो? इसके लिए ड्राफ्ट में कहा गया है कि अग्रीमेंट उसकी मौत के साथ ही खत्म हो जाएगा। लेकिन अगर उसके साथ परिवार भी है तो किरायेदार के अधिकार उसकी पत्नी या बच्चों के पास चले जाएंगे।
कोर्ट में नहीं होगी सुनवाई
ड्राफ्ट में केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों से कहा गया है कि वह किराया विवाद निपटाने वाली अदालतों, प्राधिकरण या अधिकरण का गठन करें। यह संस्थाएं सिर्फ मकानमालिक और किरायेदारों के विवादों का निपटारा करेंगी। इसका मतलब है कि आप किराये से संबंधित विवाद निपटाने के लिए सिविल अदालतों का रुख नहीं कर सकते।
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