दुर्घटना मुक्त रेलवे - एक परिचय
जिस तरह से रेलवे पिछले एक सालो से दिन रात मेहनत अपने स्ट्रक्चर को सुधारने में कर रहा है, वो दिन दूर नहीं जब एक्सीडेंट महज इतिहास के पन्नो में सिमट कर रह जाएगी या गूगल पर सर्च करने से ही मिल पायेगी. 2017-18 में 4405 km ट्रैक का नवीनीकरण किया गया है और 5509 km टारगेट 2018-19 में रखा गया है. और ये टारगेट आसानी से अपनी लक्ष्य को पूरा करती भी दिखाई दे रही है.
इतना प्रोग्रेस अभी तक के इतिहास में सपना जैसा ही दीखता था , लेकिन अभी की प्रगतिशील सरकार के उचित मार्गदर्शन में, उसी टीम से, उसी कर्मचारी से हम अनवरत एक नयी ऊंचाई को छू रहे है. हम पूछते है की यही सब काम को करने के लिए पिछले सरकार को किसी ने रोका था क्या? या संकीर्ण सोच में से उबरना ही नहीं चाहते थे. अभी रेलवे हर क्षेत्र में प्रगतिशील है.
रेलवे के नए चेयरमैन ने जो सशक्त कदम उठाये है, वो काबिले तारीफ है. छोटे से छोटे कर्मचारी तक डायरेक्ट पंहुच है उनकी. उनकी दुर्घटना के प्रति जीरो टॉलरेंस एकदम कारगर है. उनकी सेफ्टी वेबसाइट पर सेफ्टी से खिलवाड़ को रिपोर्ट वाली बात भी बहुत सराहनीये है. कुल मिलाकर रेलवे अभी बहुत ही सही हाथो में है. वही लोग जो कल तक काम से जी चुराते थे, आज लगन और मेहनत से काम करते हुए देखे जा सकते है. एक नयी ऊर्जा का संचार कर्मचारियों के बिच हुआ है. "कर्मचारी पहले, कस्टमर बाद में" के सिद्धांत को भली भांति जीवंत रूप देने की कोशिश जारी है.
लेकिन इस साल एक बात थोड़ी निराश करती है की रेलकर्मियों को मिलने वाले अवार्ड में भारी कमी देखी गयी है, कुछ लोग बताते है की फण्ड की कमी है. लेकिन कारण जो भी हो ये निंदनीय है. अगर आप उसी सेटअप से दुगुनी मेहनत करवाते हो और अवार्ड देने में कंजूसी करते हो तो एक निराशा की भावना भी कंही न कंही पनपती ही है.
और इन सब उपलब्धियों के बिच हम पीवे इंजीनियर के त्याग और कर्तव्यनिष्ठा को दरकिनार नहीं कर सकते है. ये वही इंजीनियर है जो इंजीनियर सिर्फ नाम के है और सबसे ज्यादा शोषण भी इन्हीका होता है. ये इतने लाचार होते है की अपनी हक़ की बात भी दबी जुबान में ही करते है. लेकिन वर्तमान रेलवे की चमक इनके बिना अधूरी है. काश इस बात को हमारी सरकार सुन पाती.
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